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देखो मजारे फातिमा कितना उदास है या मजलूमा, या मासूमा, या जहरा..

बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोगों ने शिरकत कर सीनाजनी की

बदायूँ। पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की चहेती बेटी शहजादी जनाबे फातिमा जहरा की शहादत के मौके पर बुधवार रात से शहर की बारगाहे मुत्तक़ीन सय्यदबाड़ा बदायूँ में हुज्जतुल इस्लाम आली जनाब मौलाना सफ़दर रज़ा इमामी साहब किब्ला अमरोहा ने मजलिस को खिताब किया। जिसमें शहजादी जनाबे फातिमा जहरा की शहादत का मंजर सुन मौजूद लोगों की आंखों से आंसू निकल पड़े। बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोगों ने शिरकत कर सीनाजनी की।बुधवार रात को शहर के मोहल्ला सय्यदबाड़ा में बारगाहे मुत्तक़ीन में पांच रोज़ा मजलिसों के पांचवे दिन सोज़खनी जनाब ग़ुलाम अब्बास, डॉ ऐहसान रज़ा ने की। इस दौरान मजलिस को खिताब मौलाना सफ़दर रज़ा इमामी अमरोहवी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि हजरत फातिमा औरतों के लिए हर दौर में मिसाली किरदार है। उन्होंने अपने बाबा हज़रत मोहम्मद के दीने इस्लाम को परवान चढ़ाने में अहम किरदार निभाया। वहीं महिलाओं ने भी विभिन्न मजलिसों में शिरकत की और मातम करके शहजादी की शहादत पर गम मनाया। वहीं रोने पे पहरा, मसाएब का सेहरा, अकेली है जहरा व देखों मजारे फातिमा कितना उदास है या मजलूमा, या मासूमा, या जहरा नौहा सुन अजादारों की आंखें अश्कबार हो गई। इस मौके पर अनफ रिज़वान और जाबिर ज़ैदी चाय की सबीलों और तबरुक का आयोजन किया था।

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