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बदायूं,  : 25 लाख की आबादी वाले जिले में कैंसर का उपचार करने की कोई सुविधा नहीं

जिला अस्पताल में कैंसर पीड़ित एक मरीज भर्ती है, जबकि एक कैंसर पीड़ित महिला को दो दिन रेफर कर दिया

बदायूं,  : 25 लाख की आबादी वाले जिले में कैंसर का उपचार करने की कोई सुविधा नहीं है। यहां सरकारी अस्पताल और राजकीय मेडिकल कालेज है, लेकिन किसी जगह ऑन्कोलॉजिस्ट नहीं है। इससे संभावित कैंसर के मरीज दूसरे जिलों में इलाज कराते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक सीटी स्कैन कराने पर हर माह लगभग तीन से चार कैंसर से पीड़ित मरीज सामने आते हैं। जिला अस्पताल में कैंसर पीड़ित एक मरीज भर्ती है, जबकि एक कैंसर पीड़ित महिला को दो दिन रेफर कर दिया गया।जिला अस्पताल में सर्दी बुखार खांसी, मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियों का इलाज होता है। लेकिन यहां पर ऑन्कोलॉजिस्ट नहीं होने से कैंसर का इलाज नहीं हो पाता है। जिला अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा है। संभावित मरीजों का सीटी स्कैन कराया जाता है। यदि मरीज में कैंसर के लक्षण मिलते हैं तो उसे बाहर इलाज कराने की सलाह दी जाती है। हर माह लगभग तीन से चार लोगों में कैंसर के लक्षण सामने आते हैं। उन्हें डॉक्टर बाहर इलाज कराने की सलाह देते हैं। जिला अस्पताल में बिनावर क्षेत्र के ग्राम सुभानपुर निवासी श्री राम को चार दिन पूर्व भर्ती किया गया है। श्री राम की पेशाब की नली में गांठ है। साथ ही उसके कंधे की हड्डी में भी गांठ है। डाॅक्टर राजेश वर्मा ने श्रीराम को कुछ दिन के लिए भर्ती किया है। साथ ही हिदायत दी है कि अधिक परेशानी होने पर दिल्ली के एम्स में ले इलाज कराएं। श्री राम ने बताया कि उन्हें चार माह से परेशानी है। बरेली में एक प्राइवेट अस्पताल में एक्सरे कराया तब कैंसर का पता चला। श्रीराम के परिजनों ने अधिक परेशानी होने पर यहां भर्ती कराया है। यहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। शहर के मोहल्ला पनबड़िया निवासी महिला नीति को पेट में गांठ होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां से दो दिन पूर्व उसे बाहर को रेफर कर दिया गया। डाॅ. राजेश वर्मा ने बताया कि कैंसर का पता चलने पर मरीजों को दिल्ली, लखनऊ, आगरा, या अलीगढ़ में इलाज कराने की सलाह दी जाती है।
बच्चों की आंखों में रेडीनोप्लास्टोमा मतलब कैंसर सीटी स्कैन सेंटर के मैनेजर नसीम खान ने बताया कि यहां प्रत्येक दिन 30 से 40 लोगों के सीटी स्कैन किए जाते हैं। हर माह तीन से चार मरीज कैंसर के मिलते हैं। उन्हें बाहर इलाज कराने की सलाह दी जाती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. पीयूष मोहन अग्रवाल ने बताया कि कुछ छोटे बच्चों की आंखों में रेडीनोप्लास्टोमा होता है। यह एक तरह का कैंसर होता है। रेडीनोप्लास्टोमा आंख के बाहरी हिस्से में मांस का लोथड़ा बन जाता है। इससे बच्चे की आंख बंद हो जाती है और उसे दिखाई नहीं देता है। सोमवार को भी रेडीनोप्लास्टोमा से पीड़ित एक सात साल का बच्चा आया। उसे दिल्ली जाने की सलाह दी गई। यहां पर इसके इलाज की सुविधा नहीं है। उन्होंने बताया कि साल में करीब आठ बच्चों की आंखों में रेडीनोप्लास्टोमा रूपी कैंसर देखा गया है।महिला रोग विशेषज्ञ डाॅ. प्रियंका ने बताया कि महिलाओं की यूट्रस में अधिकांश कैंसर गांठ की शिकायत होती है। हर माह दो से तीन इस तरह की महिलाओं को जांच के लिए बाहर भेजा जाता है। कुछ लोग प्राइवेट अस्पतालों में जांच कराने के बाद रिपोर्ट दिखाते हैं तो उनमें कैंसर की समस्या सामने आती है। राजकीय मेडिकल काॅलेज में भी कैंसर को ठीक करने का कोई ऑन्कोलॉजिस्ट नहीं है। यहां पर जांच की सुविधा भी नहीं है। संभावित कैंसर के मरीजों को सैफई मेडिकल कॉलेज को रेफर किया जाता है।

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