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बदायूं में बरेली-मथुरा हाईवे से सटे दहेमू के जंगल में लगी आग पर बुधवार देर रात काबू पा लिया
वन दरोगा सतीश चंद्र और कछला चौकी इंजार्च योगराज सिंह दहेमू के जंगल में पहुंचे

बदायूं में बरेली-मथुरा हाईवे से सटे दहेमू के जंगल में लगी आग पर बुधवार देर रात काबू पा लिया गया। आग बुझाने के लिए दमकल कर्मियों के अलावा वन विभाग की टीम को भी चार घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। तब तक जंगल का करीब 80 बीघा रकबा चपेट में आ गया।वन दरोगा सतीश चंद्र और कछला चौकी इंजार्च योगराज सिंह बुधवार रात करीब नौ बजे दहेमू के जंगल में पहुंचे। उन्होंने बदायूं और सहसवान से दमकल की टीमों भी बुला लिया। इसके बाद आग बुझाने की कार्रवाई शुरू होकर देर रात तक चली। करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू तो पा लिया गया, लेकिन तब तक 80 बीघा रकबा में घास-फूंस की झाड़ियों के अलावा पेड़-पौधे भी आग की चपेट में आकर स्वाहा हो चुके थे। दहेमू के जंगल में कटीले बबूल के पेड़ सर्वाधिक हैं।वन दरोगा ने बताया कि आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। इलाके के लोगों के मुताबिक आग दोपहर के वक्त ही लग गई थी, लेकिन वन विभाग के कर्मचारी और पुलिसकर्मी मौके पर समय रहते नहीं पहुंचे थे। अगर एक-डेढ़ घंटे में ही दमकल को बुला लिया जाता तो आग विकराल रूप नहीं ले पाती। कम से कम पेड़- पौधे तो बच जाते। जंगली जीव- जंतुओं भी आग की भेंट चढ़े हैं। उधर, वन कर्मियों ने बताया कि आग बुझाने के बाद बृहस्पतिवार सुबह जंगल के हालात पर गौर किया गया तो कहीं पर कोई मृत जीव-जंतु नजर नहीं आया है।दहेमू के जंगल में आग लगने को लेकर चल रहे कयासों के दौर के बीच वन विभाग के कर्मचारियों का यह भी कहना है कि आग मानवीय चूक का हिस्सा भी हो सकती है, लेकिन दूसरी तरफ इलाके के चरवाहों समेत पशुपालकों पर भी संदेह जताया जा रहा है। पशुओं को चराने में बाधा बनी फूंस की झाड़ियों को उजाड़ने के लिए किसी चरवाहे ने आग लगा दी हो। या फिर जंगली जानवरों समेत छुट्टा पशुओं से निजात पाने को झाड़ियों में आग लगा दी गई है।